Friday, March 8, 2013

Poem on Women's Day



कविता – महिला दिवस के उपलक्ष मेँ


हक तुम्हारा ना हमारा मिलकर बोलो सब जयकारा
देना होगा सब बराबर तकरार के बिना

महिला दिवस का नज़ारा, लगता सब नारी को प्यारा
वर्ष में एक दिन तो हमारा, हर दिन यही लगेगा नारा
अब चलेगा ना गुज़ारा पूरे साल के बिना

हक तुम्हारा ना हमारा मिलकर बोलो सब जयकारा
देना होगा सब बराबर तकरार के बिना

जो जो देखे हमने ख्वाब, देना होगा सब हिसाब
चाहिए ना झूठा खिताब, नारी पुरुष चले एक साथ
देना होगा सब जवाब इन्कार के बिना

हक तुम्हारा ना हमारा मिलकर बोलो सब जयकारा
देना होगा सब बराबर तकरार के बिना

कानून बने अनेक, लागू होता नहीं है एक
क्या इच्छा शक्ति नहीं नेक, सदियों से रहे हैं देख
लागू हो सकते ना कानून सरकार के बिना

हक तुम्हारा ना हमारा मिलकर बोलो सब जयकारा
देना होगा सब बराबर तकरार के बिना

घंटे दिन बीते और बरसों, आज नहीं कल परसों, तरसों
पीली पड़ गयी जैसे सरसों, पीली पड़ गयी जैसे सरसों
अब होगा ना गुज़ारा अधिकार के बिना

हक तुम्हारा ना हमारा मिलकर बोलो सब जयकारा
देना होगा सब बराबर तकरार के बिना

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